Tuesday, October 3, 2023
Home Meditation कुंडलिनी क्या है? इसका अभ्यास कैसे करें?

कुंडलिनी क्या है? इसका अभ्यास कैसे करें?

हमारी प्राण शक्ति के केंद्र कुंडलिनी को अंग्रेजी भाषा में ‘serpent power’ कहते हैं। विज्ञान अभी इसको नहीं मानता, इसी कारण कुंडलिनी साधना और इसके इफेक्टिवनेस को लेकर कई मिथ (myth) मौजूद हैं। लेकिन अब धीरे- धीरे विज्ञान जगत के अनुसंधानों (Research) ने भी ये सिद्ध किया है कि हमारे शरीर में ऐसी कई शक्तियां मौजूद हैं जिनसे हम अभी तक अनजान हैं। और यह शक्तियां हमारी लाइफ को कई तरह से प्रभावित करती हैं। बस इन्हीं शक्तियों या यूँ कहें कि सिद्धियों पर आधारित विद्या ही कुंडलिनी है। 

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि कुण्लिनी साधना का जिक्र न तो योग के जनक कहे जाने वाले महर्षि पतंजलि ने किया और न ही इसका वर्णन गीता में मिलता है। आमतौर पर कुंडलिनी के बारें में तंत्र शास्त्रों में लिखा गया है। इस विद्या को कुंडल के रूप में दिखाया गया है जिसके अनुसार एक सर्पनी अथवा नागकन्या कुण्डल बनाते हुए अपने ही मुँह में पूँछ को लेकर अज्ञात स्थान पर छुपी रहती है। इस प्रतीक का अर्थ वे सारी शक्तियों से है जो हमारे शरीर में तो समायी हुयी है लेकिन इनका बोध हमे नहीं है। कुंडल के रूप में प्रतीक होने के कारण ही इस विद्या को कुंडलिनी कहा गया। यह एक ऐसी विद्या है जो योग, तंत्र, आयुर्वेद और रसायन सभी को साथ लेकर चलती है। 

कुंडलिनी विद्या का उद्देश्य

कुंडलिनी विद्या का उद्देश्य हमारे मानव शरीर में छुपी सारी चमत्कारिक सिद्धियों को बाहर लेकर आना है। इस विद्या से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास संभव हो पाता है। जब कुंडलिनी शांत होती है तो हमें इसका कोई असर समझ नहीं आता लेकिन जब कुंडलिनी जाग्रत हो जाती है तो हमें इसके चमत्कारों की बारे में अनुभव होता चलता है। ऐसा माना जाता है की पूरी तरह से जाग्रत कुंडलिनी से पूर्ण जागरूकता के साथ परम आनंद और आध्यात्मिक मुक्ति की और ले जा सकती है। कुंडलिनी साधक की चेतना को दिव्य चेतना के साथ एकजुट करने में मदद करता है।

कुंडलिनी का आधुनिक रूप

कुंडलिनी योग की शैली सिख परंपरा के दिवंगत योगी भजन (1929 – 2004) द्वारा विकसित की गई थी। उन्होंने एक अभ्यास तैयार किया जिसमें आसन और सांस-कार्य के क्रम थे, जिसका उद्देश्य अभ्यासी की चेतना को ऊपर उठाना था ताकि यह दिव्य चेतना के साथ विलीन हो सके।

कुंडलिनी और नाड़ियाँ

योग कुण्डल्यूपनिषद में कुंडलिनी के बारे में ज़िक्र इस तरह से किया गया है “कुण्डले अस्या स्तः ईतिहः कुंडलिनी” अर्थात दो कुण्डल वाली होने के कारण पिण्डस्त उस शक्ति प्रवाह को कुण्डलिनी कहते है। इधर दो कुण्डल का अर्थ इड़ा और पिंगला से है। हमारी बॉडी में मुख्य रूप से तीन नाड़ियां होती हैं – १ इड़ा २ पिंगला ३ सुषुम्ना

यह तीनों नाड़ी कुण्डलिनी योग की सबसे अहम् नाड़ियाँ हैं। इनके शुद्ध होने से हमारी बॉडी की अन्य 72 हजार नाड़ियाँ भी शुद्ध होने लगती हैं  जिनका शुद्ध होना कुंडलिनी के लिए अहम् है। सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार चक्र से शुरू होकर हमारे सर के ऊपर स्थित सहस्त्रार चक्र तक जाती है। सभी चक्र सुषुम्ना में ही विद्यमान हैं। यह तीन नाड़ियाँ सबसे पहले मूलाधार मूलाधार केंद्र में ही मिलती हैं। इड़ा को गंगा, पिंगला को यमुना और सुषुम्ना को सरस्वती कहे जाने के कारण ही मूलाधार को मुक्तत्रिवेणी और आज्ञाचक्र को युक्त त्रिवेणीकहते हैं।

कुण्डलिनी साधना का अभ्यास

कुंडलिनी को जगाने के लिए अलग-अलग विधियाँ हैं – जैसे राज योग के अंतर्गत मन को एकाग्र करने और प्रशिक्षित करने से कुण्डलिनी जाग्रत होती है। जबकि हठ योग में आसन, प्राणायाम और मुद्रा का अभ्यास करने, भक्ति योग में स्वयं को पूर्ण आत्म को समर्पित करने, और कर्मयोग में मानवता की निःस्वार्थ सेवा से कुंडलिनी जागृत होती है। साधना चाहे कोई भी हो नियमित अभ्यास से साधक कुण्डलिनी के प्रभावों का आभास होता जाता है। 

कुंडलिनी का चक्रों को भेदन

 साधना में प्रगति के साध कुंडलिनी सुषम्ना नाड़ी में ऊपर की और चढ़ती है। कुंडलिनी का सुषुम्ना में ऊपर चढ़ने का अर्थ है चेतना में धाराप्रवाहिक विस्तार। कुंडलिनी के प्रत्येक केंद्र में अनेकों शक्तियों का निवास होता है। जब योगी मूलाधार चक्र का भेदन कर लेता है तो वह लालसा और वासना से विजय पा लेता है। 

  • मूलाधार चक्र का भेदन मानसिक रूप से स्टेबिलिटी, भावनात्मक और आध्यत्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।
  • स्वाधिष्ठान चक्र के नियंत्रण से प्रजनन, रचनात्मकता, ख़ुशी और उत्सुकता की प्राप्ति होती है।
  • मणिबंध चक्र द्वारा नियंत्रित होने वाले मुख्य विषयों में पाचन, मानसिक निजी बल की प्राप्ति के साथ भय, व्यग्रता, अंतर्मुखता जैसी जटिल भावना का परिवर्तन हैं।
  • अनाहत चक्र से जुड़े विषयों में जटिल भावनाये, संतुलन, करुणा, स्वयं व दूसरों के लिए प्रेम और कल्याण भाव व आध्यात्मिक समर्पण हैं।
  • विशुद्धि चक्र वाणी में प्रभाव देता है यह आत्मा की अभिव्यक्ति, भवनात्मक स्वतंत्रता, संप्रेषण और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।
  • जब कुंडलिनी आज्ञा चक्र का भेदन कर लेती है तो साधक को स्व-ज्ञान हो जाता है उसे परम आनंद का अनुभव होने लगता है, आज्ञा चक्र का संबंध चेतना के साथ सहज ज्ञान के स्तर से जुड़ा होना है।
  • कुंडलिनी साधना के अंतिम  चक्र सहस्त्रार चक्र आंतरिक आत्मा और परमात्मा को एक करने वाला केंद्र है। दिव्यता की भावना के साथ यह चक्र परमात्मा से जोड़ने का काम करता है। 
कुंडलिनी का चक्रों को भेदन

कुण्लिनी योग साधना की सावधानियां – कुंडलिनी योग जितना लाभदायक है उतना ही हानिकारक भी है। बिना उपयुक्त माहौल, बिना परामर्श अथवा मार्गदर्शन के कुंडलिनी साधना करना घातक सिद्ध हो सकता हैं। कुंडलिनी को न्यूक्लियर एनर्जी की तरह कहा गया है विनाश की संभावनाएं हमेशा इसके साथ मौजूद रहती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की इसका अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए लेकिन केवल किताबों अथवा इंटरनेट पर मौजूद सामग्रियों के आधार पर कुंडलिनी साधना करना गलत होगा और इससे वांछित परिणाम नहीं मिल सकेंगे। इसकी जगह की मार्गदर्शक अथवा प्रशिक्षक के प्रशिक्षण में कुंडलिनी साधना करना लाभदायक होगी। 

RELATED ARTICLES

अपने अवचेतन मन को कैसे प्रोग्राम करें 

क्या आप जानते हैं कि हम अपने brain का 10वें हिस्से से भी कम इस्तेमाल करते हैं. और इससे भी ज्यादा मजे...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

एलर्जी से राहत पाने के नैचुरल  तरीके

एलर्जी immune system में disturbance के कारण होती है। जब हमारा immune system, environment में किसी non-harmful पार्टिकल  या एलर्जेन पर रिएक्शन...

स्वामी विवेकानन्द के 18 quotes जो जीवन में आपका मार्गदर्शन करेंगे

स्वामी विवेकानन्द- यह नाम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है. उन्होंने पश्चिमी देशों में वेदांत, योग,...

IKIGAI book summary in hindi | इकिगाई पुस्तक सारांश हिंदी में

"इकिगाई: जापानी सीक्रेट, लम्बी व खुशहाल लाइफ के लिए" एक प्रेरणादायक किताब है जो हमें जीवन के मकसद और कैसे खुश रहा...

योग को क्षमा के लिए कैसे इस्तेमाल करें

क्षमा कर पाना और अपने अन्दर इस गुण की कमी होना, यह बात योगा थेरेपी में बहुत कॉमन है. अगर आपके साथ ...

Recent Comments