क्षमा कर पाना और अपने अन्दर इस गुण की कमी होना, यह बात योगा थेरेपी में बहुत कॉमन है. अगर आपके साथ अतीत में कुछ ऐसा हुआ है जो आपको दुख देता है या आप उसका पछतावा करते हैं तो धीरे धीरे यह सब इकट्ठा हो सकता है और आपकी शारीरिक, मानसिक और इमोशनल structure को hurt कर सकता है. और बाद मे एक बीमारी के रूप में जन्म ले सकता है.

विभिन्न धर्मों में और अध्यात्म में क्षमा करने पर काफी जोर दिया गया है. दोनों में बताया गया है कि कैसे क्षमा मांगना और क्षमा करना दो बहुत बड़े गुण हैं. योग में इस तरह के तरीके बताए बताए गए हैं जो हमें क्षमा करने में सहायता करते हैं.
आखिर क्षमा क्यों करें?
जब हम ऐसी स्थिति का अनुभव करते हैं जो तनाव पैदा करती है, तो दिमाग इसे threat के रूप में मानता है और और इससे लड़ने के लिए अपने आपको तैयार करने लगता है. शरीर की muscles tight हो जाती हैं, जबड़े भिंच जाते हैं, साँसों की लेंग्थ छोटी होने लगती है. और इन शारीरिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हमारा mind शरीर को threat का जवाब देने के लिए तैयार करता है।
पुरानी यादों के लिए भी एकदम valid है. जब आपको पुरानी यादे याद आती हैं जिसमे आप hurt हुए है, या वो यादे गुस्से और नाराजगी से भरी हुई हैं, तो brain उन भावनाओं को threat (खतरे) के रूप में मानता रहता है। हमारा मष्तिष्क इस बात में अंतर नहीं करता कि यह अतीत में हुआ था या वर्तमान में हो रहा है। इसलिए, हर बार जब हम किसी दुखद विचार पर दोबारा चिंतन करते हैं, तो यह उसी तरह की reactions को एक्टिव कर देता है। समय के साथ, शरीर stress से होने वाली थकान का अनुभव करना शुरू कर देता है और इसे किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी के रूप में प्रकट करता है।

हमारे अपने हित के लिए, अपने past के साथ peace develop करना (शांति बनाना) और एक अलग past की इच्छा को बंद करना बहुत इम्पोर्टेन्ट है।
सभी stakeholders को क्षमा करना
क्षमा के बारे में एक बौद्ध धर्म में एक prayer है जो क्षमा की प्रोसेस को तीन पार्ट में divide करती है – पहला, उन लोगों को क्षमा करना जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई है, उन लोगों से क्षमा मांगना जिन्हें हमने चोट पहुंचाई है, और स्वयं को क्षमा करना।
योग में ‘अहिंसा’ शब्द, जिसका अर्थ है किसी को चोट न पहुँचाना या किसी का नुक्सान न करना, यम योग में ‘सही जीवन के नैतिक नियमों’ में से पहला नियम है। इसे सभी यमों में सबसे महत्वपूर्ण भी माना जाता है। विचारों, शब्दों या कार्यों से स्वयं को और दूसरों को चोट पहुँचाना हिंसा का कार्य है।

यह हिंसा कभी-कभी तब और ज्यादा उभर कर आती है जब हम स्वयं की तुलना में दूसरों के साथ करते हैं। नकारात्मक self-talk, guilt फीलिंग और शर्म की भावना, हमारे मन में उन घटनाओं को बार-बार दोहराना कि उस सिचुएशन में इसके बजाय ऐसा कर सकते थे वैसा कर सकते थे. यह अपने आप में अपने against हिंसा जैसा ही है.
स्वयं को क्षमा करना सबसे कठिन कार्यों में से एक हो सकता है, फिर भी यह बहुत important है. योग हमें सिखाता है incomplete और imperfect होते हुए भी कैसे उसका आनंद लिया जाए . हर बार जब हम अपनी yoga mat पर लड़खड़ाते हैं या किसी yoga pose को एकदम सही तरह से नहीं कर पाते हैं, तो योग हमें बताता है कि हम जहां हैं वहीं ठीक हैं, जैसे हैं हम ठीक है. हम improve करेंगे, पर जहाँ हैं वहां गलत नहीं हैं.
अपनी limitations को स्वीकार करना, अपनी गलतियों को स्वीकार करना, सेल्फ-लव है। दूसरों की limitations और गलतियों को स्वीकार करना यूनिवर्स के प्रति प्रेम है जो हम सभी को समान रूप से प्यार करता है।
कैसे योगासन क्षमा में सहायता कर सकता हैं?
जब मन बिखरा हुआ और बेचैन हो तो मन को शांत करने के लिए सबसे अच्छी जगह yoga mat है। योगासन अभ्यास दिमाग को फोकस और balanced रखने में मदद करता है। इससे क्रोध और दुःख की energies channelized होती हैं में बदल जाती है और emotions की तीव्रता काफी कम हो जाती है।
योग यह भी करता है कि यह हमें शरीर के उन स्थानों पर सांस लेने में मदद करता है जहां तनाव जमा होता है। जैसे ही हम गति के साथ सांस का समन्वय करते हैं, शरीर खुलने लगता है। हमारे ऊतकों में संग्रहित भावनाएँ मुक्त हो जाती हैं और उनकी cleansing हो जाती है।

Yoga करते हुए जब हम पीछे की ओर झुकते हैं, तो इससे ह्रदय खुलता है. और हमें प्यार, दया और क्षमा देने और प्राप्त करने के लिए अधिक receptive बनाता है। आगे की ओर झुकने से समर्पण की भावना आती है जो हमारे प्रतिरोध और अहंकार को दूर करने में मदद करती है।
कैसे ध्यान क्षमा में सहायता कर सकता हैं?
नियमित ध्यान अभ्यास, इसके कई अन्य लाभों के अलावा, हमें भ्रम से awareness की ओर ले जा सकता है। यह हमें हमारी सत्यता के करीब लाता है और हमें यह पता करने में मदद कर सकता है कि हम कुछ ट्रिगर्स के प्रति संवेदनशील क्यों हैं और दूसरों के प्रति नहीं।
अपने ध्यान अभ्यास के लिए एक commitment करना हमें अपने लक्ष्यों के साथ जोड़े रखता है और ऐसे समय में मददगार होता है जब मन भटकने लगता है। यह commitment हमें निरंतर प्रगति करने में भी सक्षम बनाता है और धीरे-धीरे मानसिक और भावनात्मक knots खुलने लगती हैं।
ध्यान कई रूप ले सकता है। यदि श्वास ब्रीथिंग एक्सरसाइजेज कठिन लगती है, तो हम प्रार्थना या मंत्र के रूप में ध्यान कर सकते हैं, metta (loving-kindness) या क्षमा के बौद्ध अभ्यास जैसे बौद्ध ध्यान अपना सकते हैं।
अंत में
इस सब में, जो याद रखने वाली बात है वह यह है कि हम खुद को इसीलिए माफ नहीं करना क्यूंकि यह करना ‘सही’ काम है। अपनी limitations के प्रति दया रखना और अपनी अपूर्णता को स्वीकार करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
इसके बजाय, हम जो कर सकते हैं, वह बस इस कमी के प्रति जागरूक होना है, जिसे, हमारे जीवन में कभी-कभी, हम दूर करना चाहेंगे। यह सब आवश्यक नहीं कि एक झटके में हो । धीरे-धीरे, एक दिन में एक बार, हम इससे डरे बिना इसके टच में रह सकते हैं, और अपने अंदर उस चीज को स्थापित करने का प्रयास करते रहे जिससे हम सभी बने हैं – प्यार।