क्या आप जानते हैं कि हम अपने brain का 10वें हिस्से से भी कम इस्तेमाल करते हैं. और इससे भी ज्यादा मजे की बात कि हम अपने अधिकतर काम अवचेतन mind से करते हैं. यानी कि अधिकतर काम हमारी awareness के बिना खुद ही हो जाते हैं. Subconscious mind (अवचेतन माइंड ) conscious mind (चेतन mind) के नीचे काम करता है और हमारे ऐसे विचारो और बेसिक क्रियाओं को कण्ट्रोल करता है.

Subconscious mind अपने अन्दर इनफार्मेशन जो की deeply rooted होती है, उसके बेसिस पर analysis करके decision लेता है और हमारी awareness के बिना ही ये काम होता रहता है.
तो क्या हम ये मान सकते हैं कि इतना सारा ऑटोमेटेड बिहेवियर सिर्फ इसी इनफार्मेशन पर हो रहा है जो हमारे Subconscious mind में पहले से ही प्रोग्राम है?
क्या हम इसे बदल सकते हैं? क्या हम इसे रीप्रोग्राम कर सकते हैं? और अगर कर सकते हैं तो क्या हमारे subconscious mind से होने वाले काम improve हो सकते हैं? आइये जानने की कोशिश करते हैं इस आर्टिकल में.
आखिर है क्या ये subconscious mind?
आजकल मशीन लर्निंग और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की हर तरफ चर्चा है. मशीन लर्निंग में कंप्यूटर को काफी मॉडल्स के तहत लर्निंग करायी जाती है और उसके बाद इन मॉडल्स के बेस पर कंप्यूटर खुद ब खुद यानी कि आर्टिफीसियल तरीके से decision लेता है. इसी तरह हमारा subconscious mind हमारी नॉलेज, हमारे एक्सपीरियंस के हिसाब से लर्न करता रहता है और ऑटोमेटेड decision लेता रहता है. मिसाल के तौर पर अगर आपका हाथ किसी गर्म सरफेस पर पड़ जाता है तो आप यह नहीं सोचते कि हाँ इस सतह का तापमान मेरे हाथ के तापमान से ज्यादा है और अब मुझे अपना हाथ हटा लेना चाहिए. क्यूंकि इस सब में समय लगेगा और तब तक आपका हाथ जल चुका होगा. इस सिचुएशन में आपका subconscious mind एक्शन में आता है और आप के सोचे बिना ही एक्शन हो जाता है.

इस तरह subconscious mind हम लोगो को safe रखने में और रोजमर्रा के कामो में हमे हेल्प करने में मदद करता है. इसका काम करने का तरीका हमारे तजुर्बे, हमारे विश्वास और हमारी नॉलेज पर depend करता है.
जैसे कि अगर आप बचपन में फ़ुटबाल खेलते थे और आप ऑफिस जाते हुए बच्चो को फुटबाल खेलते हुए देखते हैं तो आपका भी मन करेगा कि मेरे को भी फ़ुटबाल खेलनी चाहिए.
क्या subconscious mind को प्रोग्राम किया जा सकता है?
अगर one word आंसर चाहिए तो हाँ, किया जा सकता है. जैसा कि subconscious mind हैबिट्स, लीर्निंग्स पर depend करता है और उन्ही मॉडल्स को subconscious mind decision लेने के लिए इस्तेमाल करता है तो लाजिमी है कि subconscious mind को रीप्रोग्राम किया जा सकता है.
कैसे हम subconscious mind को प्रोग्राम कर सकते हैं?
प्रोग्राम करना थोडा सा टेढ़ा काम है पर नामुमकिन नहीं. निरंतर प्रयास करने से इसे प्रोग्राम किया जा सकता है.
1. ये जानना कि आपको क्या रोकता है?
आप अपने बारे में सबसे ज्यादा जानते हैं. कई बार कुछ specific काम के लिए हमे हमेशा लगता है कि ये काम शायद मेरे से नहीं हो पायेगा. और जब उस काम को करने का सोचते हैं तो आपको चिंता या भय सताने लगता है. ये इनफार्मेशन subconscious mind को धीरे धीरे प्रोग्राम करती रहती है. आपको जानने का प्रयास करना है कि वो कौन सी बाते और विश्वास हैं जो आपको ऐसा करने से रोक रहा है. एक बार ये पता करने से हम इस पॉइंट पर काम कर सकते हैं कि इसे कैसे टैकल कर सकते हैं.

२. अपने अन्दर विश्वास जगाना
डर और चिंता काम करने की ability को कम करने के साथ साथ उस पर डिस्कशन करने की हिम्मत को कम करती है. एक बार चिंता, भय का कारण पता चल जाए तो हमे अपने विश्वास को दृढ करना है कि हम इस काम को कर सकते हैं. और मन ही मन में इस बात और ख्याल को रिपीट करना है. उसी बात को आप एक मिरर के सामने अपने आप से कहिये और अपने आप को इस बात का विश्वास दिलाइये कि हाँ, मै ये कर सकता हूँ. सतत प्रयास से आप पाएंगे कि धीरे धीरे आपका subconscious mind इस बात के लिए प्रोग्राम हो रहा है और लॉन्ग रन में improved decision के लिए तैयार हो रहा है.
३. मैडिटेशन
हमारा दिमाग एक कंप्यूटर की तरह है और इसकी प्रोसेसिंग भी काफी हद तक एक कंप्यूटर की तरह ही होती है. किसी चीज को प्रोसेस करने के लिए प्रोसेसर फ्री रहना आवश्यक है अगर आपके कंप्यूटर में आपके टास्क मैनेजर ने बहुत सारे टास्क चल रहे होंगे तो आपका कंप्यूटर का प्रोसेसर फ्री नहीं रह पाएगा और आप कोई भी नया टास्क एफिशिएंटली नहीं कर पाएंगे. यही बात हमारे दिमाग पर भी लागू होती है. अगर हमारे दिमाग में बहुत सारे टास्क, एक्टिविटी या विचार एक साथ चल रहे होंगे तो हमारी अवेयरनेस कम रहेगी यानी कि अपनी अवेयरनेस बढ़ाने के लिए हमें अपने दिमाग के टास्क कम करने कम करने होंगे.

इसका सबसे अच्छा सलूशन है मेडिटेशन. जब हम मेडिटेशन में बैठते हैं तो आपकी आंखें बंद रहती हैं जिससे कि आपका देखने का प्रोसेस बंद हो जाता है. उसी तरह जब आप मैडिटेशन में फोकस करते हैं तो आप आसपास के साउंड से विचलित नहीं होते. इस तरह आपके सुनने का प्रोसेस काफी हद तक कम हो जाता है. आपकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है और आपके दिमाग में चल रहे विचार शांत हो जाते है. इस तरह आपके दिमाग का प्रोसेसर फ्री हो जाता है और वह किसी भी तरह की अवेयरनेस के आपका दिमागी रिसोर्स अवेलेबल हो जाता है. तब आप अपने subconscious mind को फोकस करने के लिए, पॉजिटिव थिंकिंग के लिए rewire कर सकते हैं.
In shorts, मैडिटेशन की सहायता से आप अपने विचारो को और एक्टिविटीज को efficiently कर पाने के लिए धीरे धीरे प्रोग्राम कर रहे होते हैं.
इन तरीकों से निरंतर प्रयास से आप धीरे-धीरे पाएंगे की आपके सबकॉन्शियस माइंड की डिसीजन लेने की कृति कैपेबिलिटी पहले से बेहतर हो रही है और अपने सबकॉन्शियस माइंड को पॉजिटिवली प्रोग्राम कर पा रहे हैं.