Tuesday, October 3, 2023
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मुद्राये क्या है

 मुद्राये yogic science का एक ऐसा part है जिसे कभी भी, कहीं भी शांति से बैठे हुए आप इन्हें परफॉर्म कर सकते हैं और अपनी बॉडी को हील करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. कहा जाता है इन मुद्राओं का सर्वाधिक फायदा लोटस पोजिशन यानी कि पद्मासन में होता है.

वैसे तो मुद्राएं शरीर की specific बीमारियां या शारीरिक समस्याओं को हल करने के लिए इस्तेमाल होती हैं,  परंतु इन मुद्राओं का रेगुलर तरीके से प्रैक्टिस किया जाए तो ये आपके शरीर पर overall  बहुत अच्छा प्रभाव डालती हैं और भविष्य में होने वाली पोटेंशियल बीमारियों से बचाती हैं.  

आपके हाथों में बॉडी के हर पार्ट के लिए पल्स सेंटर मौजूद होते हैं. इन्हें ट्रिगर करने से कुछ अलग तरह के हीलिंग प्रोसेस होते हैं जो कि आप की अलग अलग बॉडी पार्ट पर प्रभाव डालता है. हालांकि आप अपने हाथ के बारे में और उंगलियों के बारे में पहले से ही जानते हैं, पर आइए एक अनूठे तरीके से अपने हाथो को समझने का प्रयास करते हैं. 

आप मानिए ना मानिए आपकी हेल्थ, आपके हाथों के हाथ में ही है. हमारे हाथ हमारे शरीर की वैलनेस के लिए designed है. हमारी चारों उंगलियां और एक अंगूठा मिलकर ऐसा बिल्डिंग ब्लॉक बनाते हैं जिसे हम हिंदी में पंचमहाभूत तत्व कहते हैं जिससे कि सारा यूनिवर्स यानी कि ब्रहमाण्ड बना हुआ है. पंचमहाभूत का मतलब है गगन (sky) वायु (air) आकाश (ether) पृथ्वी(earth) और जल (water).

रामचरित मानस  में भी एक दोहा है कि छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा। जिसका मतलब है की शरीर का निर्माण इन्ही पञ्च तत्वों से होकर बना है. 

नेचुरल साइंस की अगर बात माने तो डिजीज या बीमारियों कुछ भी नहीं है वह इन्हीं पंचमहाभूत तत्वों  का imbalance है अगर यह 5 महाभूत तत्व आपके शरीर में balanced होंगे, तो आप को normally कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए.आइए देखते हैं कैसे हम अपनी फिंगर यानी की उंगलियां और अंगूठे की हेल्प से अपने इन पंच महाभूत तत्व को बैलेंस कर सकते हैं.

Thumb – The fire (Agni) अन्गुष्ठ या अंगूठा 

Index finger – The air (Vayu)  तर्जनी 

Middle finger – The ether (Aakasha) मध्यमा   

Ring finger – The earth (Prithvi)  अनामिका 

Small finger – The water (Jala) कनिष्ठा  

आप का अंगूठा, फायर यानी की अग्नि को रिप्रेजेंट करता है, आपकी इंडेक्स नंबर यानी तर्जनी वायु का प्रतिनिधित्व करती है. मिडल फिंगर, मध्यमा, आकाश को रिप्रेजेंट करता है. रिंग फिंगर यानी कि अनामिका earth को,  और कनिष्ठ यानी कि small फिंगर को दर्शाती है. 

आप कुछ specific तरीकों से अपनी फिंगर्स को align करके या टच करके अपने पंचतत्वो को बैलेंस कर सकते हैं. इन्हीं arrangements को हस्त मुद्रा कहा जाता है और यह बहुत ही आसान है. आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं. आइए देखते हैं ऐसी कौन सी 10 इंपॉर्टेंट मुद्राएं हैं जिन्हें करके आप अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं.

ज्ञान मुद्रा

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह मुद्रा ज्ञान की प्राप्ति के लिए की जाती है. इस मुद्रा को करने के लिए आपको अपने thumb की टिप और इंडेक्स फिंगर की टिप यानी कि अंगूठे की टिप और तर्जनी के टिप को आपस में टच करना है बाकी 3 फिंगर सीधी रहेंगे.

यह मुद्रा आपको मेडिटेशन में बहुत फायदा करती है और कंसंट्रेशन बढ़ाने में फायदा करती है और आपके मस्तिष्क में अगर नेगेटिविटी है उसे कम करने में फायदा करती है.

स्टूडेंट के लिए यह काफी लाभदायक है. ऐसा बोला जाता है कि स्टूडेंट रेगुलर प्रैक्टिस से अपनी मेमोरी को इंप्रूव कर सकते हैं.

इस मुद्रा से आप पुराने सर दर्द, इनसोम्निया, हाइपरटेंशन और गुस्से को कम कर सकते हैं.

वायु मुद्रा

इस मुद्रा में आप अपने  इंडेक्स यानी तर्जनी फिंगर को इस तरह मोड़ना है कि वह thumb के बेस पर टच होने लगे और बाद में अपने अंगूठे यानी thumb को फर्स्ट सिंगर के ऊपर ले आना है और हल्का सा प्रेशर डालना है बाकी तीन फिंगर आपकी सीधी रहेंगे यह है आपकी वायु मुद्रा.

इस मुद्रा के प्रैक्टिस करने से आपके शरीर में वायु से रिलेटेड जो भी विकार हैं उनसे आप को निजात मिलेगी. जैसे कि अर्थराइटिस गॉड साइटिका घुटनों के दर्द और पेट की गैस, इन सब में आपको फायदा होता है.

स्पाइनल पेन के लिए यह मुद्रा विशेष रूप से लाभकारी है

शून्य मुद्रा

 इस मुद्रा में आपको अपनी मिडल फिंगर यानी कि मध्यमा को अपने thumb के बेस पर टच करना होता है आपका अंगूठा इसके ऊपर हलके से प्रेशर के साथ रखा जाता है. बाकी 3 fingers स्ट्रैट यानी कि सीधी रहती हैं. यह है आपकी शून्य मुद्रा. 

 इसकी रेगुलर प्रैक्टिस से आपको आपके कान के दर्द और कानों के बहने जैसी समस्या से निजात मिलता है. अगर एक घंटा तक रोज किया जाता है तो बहरेपन में भी कम सुनाई देता है उसके लिए भी फायदा होता है. इस मुद्रा से आप की हड्डियां यानी कि bones स्ट्रांग होती है. 

आप के मसूड़े काफी मजबूत होते हैं. Throat यानी कि गले की प्रॉब्लम और थायराइड में भी यह फायदेमंद है

पृथ्वी मुद्रा 

 इस मुद्रा में आपको अपने अंगूठे के टिप को और रिंग फिंगर यानी कि अनामिका की टिप को आपस में टच करना है बाकी तीनों फिंगर स्टेट रहेंगे.

 यह मुद्रा करने से आपकी बॉडी में वीकनेस, शरीर का पतलापन या मोटापा दोनों में फायदा होता है और आपको आपकी बॉडी का सही वेट रेगुलेट करने में सहायता होती है.

 इससे आपका डाइजेस्टिव सिस्टम भी improve होता है और शरीर में विटामिन की कमी भी दूर होती है. इससे शरीर का आलस्य कम होता है और भरपूर एनर्जी रहती है.

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा करने के लिए आपको अपने अंगूठे, अनामिका और कनिष्ठा तीनों की टिप को आपस में टच करना होता है यानी कि tip of the thumb, ring finger and little finger तीनों को टच करना होता है. 

इस मुद्रा को करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपके प्राण की पावर यानी कि  प्राणशक्ति को जाग्रत करता है जिससे आपकी हेल्थ और एनर्जी दोनों align हो जाते हैं. 

इससे आंखों की बीमारियां और शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. बॉडी में विटामिंस की डेफिशियेंसी और थकावट कम होती है.

प्राण मुद्रा को करने से आपकी भूख और प्यास भी कम होती है और कम खाने से भी शरीर में उर्जा का संचार रहता है. 

अगर आपका इनसोम्निया की बीमारी है तो प्राण मुद्रा को ज्ञान मुद्रा के साथ करने पर आपको नींद में भी हेल्प मिलते हैं.

अपान मुद्रा 

इस मुद्रा के लिए आपको अपने thumb, मिडिल फिंगर और रिंग फिंगर की टिप्स  को साथ जोड़ना होता है. यानी कि आपको अपने अंगूठे की टिप, मध्यमा और अनामिका की टिप से जोड़ने पर या मुद्रा बनती है. बाकी दोनों उंगलियों को स्ट्रेट रखना होता है. 

अपान मुद्रा के फायदे हैं कि यह बात शरीर से अशुध्त्ता यानि कि toxic elements कम करती है और आपके शरीर को प्योर बनाती है. अगर आपको कॉन्स्टिपेशन, piles या फिर वायु से होने वाले रोग है तो यह उन्हें कम करती है. अगर आपको डायबिटीज, यूरिन का रुकना, किडनी का कोई भी डिफेक्ट या दांतो की कोई भी समस्या है तो  उससे भी लड़ने में सहायक है. Stomach से और हार्ट की बीमारी के लिए भी यह मुद्रा बहुत अच्छी मानी जाती है

अपान वायु मुद्रा

यह मुद्रा वायु मुद्रा और अपान मुद्रा का कॉन्बिनेशन है. इसके लिए आपको अपने अंगूठे की टिप को मध्यमा और अनामिका की टिप से टच करना है और साथ ही में इंडेक्स फिंगर यानी की तर्जनी को मोड कर अपने अंगूठे के नीचे रखकर हल्का सा प्रेशर डालना है. सबसे छोटी यानी कि कनिष्ठा सीधी रहेगी.

 इस मुद्रा से अपान और वायु मुद्रा के लाभ दोनों एक साथ मिलते हैं. जिन लोगों का हृदय कमजोर होता है वे लोग इस मुद्रा को रोज कर सकते हैं या जिन व्यक्तियों को हाल ही में हर्ट अटैक हुआ है उन लोगों के लिए भी यह मुद्रा काफी फायदेमंद है. यह मुद्रा पेट से गैस को कम करती है. अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद है.  अगर इस मुद्रा को सीढिय चढ़ने के 5-7 मिनट पहले किया जाए तो सीढ़ियां चढ़ने में आसानी होती है.

सूर्य मुद्रा 

इस मुद्रा को करने के लिए आपको अनामिका यानी कि रिंग फिंगर को अंगूठे के base पर लगाया जाता है और अंगूठे से हल्का सा प्रेशर डाला जाता है.

इस मुद्रा को करने से  आपकी बॉडी में बैलेंस बनता है और आपकी बॉडी का वेट स्थिर रहता है. इस मुद्रा से हाइपरटेंशन और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों को हैंडल करने में मदद मिलती है.

इस मुद्रा से लिवर और डायबिटीज के डिफेक्ट्स भी दूर हो जाते है.

जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो वह इस मुद्रा को ना करें और साथ ही इस मुद्रा को गर्म मौसम में काफी ज्यादा समय के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

वरुण मुद्रा 

कनिष्ठा यानी कि लिटिल फिंगर को thumb की टिप से टच करने पर वरुण मुद्रा का निर्माण होता है.

इस मुद्रा से आपकी स्किन की dryness कम होती है और त्वचा चमकदार होती है,  मुंहासे दूर होते हैं और आपका चेहरा चमकदार होता है.

इस मुद्रा को अस्थमा और सांस की बीमारी वाले व्यक्तियों को कम ही देर के लिए करना चाहिए.

लिंग मुद्रा

सबसे अंत में आती है लिंग मुद्रा

अपनी उंगलियों को आपस में फंसाकर जैसा की फोटो में दिखाया गया है वैसे किया जाता है और सीधे हाथ के अंगूठे को हल्का सा प्रेशर डाल कर सीधा रखा जाता है और रिलैक्स होकर इस मुद्रा में बैठना होता है.

इस मुद्रा को करने से आपकी बॉडी में हीट जनरेट होती है और अगर ज्यादा देर तक किया जाए तो ठंडी में भी आपको sweating हो सकती है. अगर आपको कोल्ड, अस्थमा, कफ या साइनस की समस्या है, तो यह मुद्रा काफी लाभदायक है. अगर आप आपके गले में कफ की शिकायत है तो यह उसे भी ड्राई करता हैं.

परंतु इस मुद्रा को अगर किया जाए तो शरीर में पानी, फल, घी और दूध का सेवन थोड़ा बढ़ा दिया जाना चाहिए.

तो यह थी 10 सबसे इंपोर्टेंट मुद्राएं इसके अलावा भी कई इंपॉर्टेंट मुद्राएं हैं परंतु यह 10 बेसिक और सबसे महत्वपूर्ण मुद्राएं हैं. अपने रोग, ऋतू और आवश्यकता  के अनुसार इन मुद्राओं का कभी भी जब आप फ्री हो इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि कि जैसा कि हमने बताया कि पद्मासन में बैठकर मुद्रा को करने से विशेष लाभ होता है. इस तरह की बातें और हम आपको बताते रहेंगे मिलेंगे आपसे आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद. 

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